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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मंत्रियों के लिए नया आचरण संहिता लागू कर दिया गया है। इसके तहत कोई मंत्री महंगे गिफ्त नहीं ले पाएगा। नहीं तो वह उपहार सरकार के खजाने में जमा करना होगा। इस नियम के तहत योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों के लिए “क्या करना है और क्या नहीं करना है” जैसे कड़े नियम बना दिए हैं।

इस नियम से भाजपा सरकार की कोशिश यह है कि जितनी पारदर्शिता होगी उतना ही जनता में भरोसा बढ़ेगा। इस नियम के तहत मंत्रियों और उसके परिवार से जितने भी लोग जुड़े हुए हैं उन्हें कीमती उपहार नहीं लेने चाहिए।

हालांकि भाजपा के केंद्रीय नेताओं से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि यह व्यवस्था पहले से ही केंद्र सरकार ने लागू की है, लेकिन सैद्धांतिक रूप से इस पर अमल नहीं हो पाता है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों के लिए इतनी कड़ी “आचरण संहिता” लागू की है कि अब मंत्री भी नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या करें। किससे सम्मान लें, या न लें। बकायदा आचरण संहिता तैयार कर सीएम योगी ने मंत्रियों के लिए “क्या करना है और क्या नहीं करना है” जैसे कड़े नियम बना दिए हैं।

बता दें कि कुछ दिन पहले यूपी के सीएम योगी ने अपने सभी मंत्रियों सहित जनप्रतिनिधियों, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों समेत सभी वर्ग के अधिकारियों को अपनी संपत्तियां घोषित करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा ऐसे सभी लोगों के परिजनों की भी संपत्तियों को घोषित करने के लिए कहा गया था।

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की इस पहल से जनता में अच्छा संदेश जा रहा है, लेकिन नए नियम से मंत्रियों के पसीने छूट रहे हैं। सरकार में बैठे सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों के लिए जो दिशा निर्देश जारी हुए हैं उनका कड़ाई से पालन हो रहा है या नहीं, इसके लिए बाकायदा एक टीम को भी सक्रिय किया गया है। ताकि यह पता चल सके कि जारी किए गए आचरण संहिता का पालन हो रहा है या नहीं।

मामले में गिफ्ट को पब्लिक डोमेन में ऑनलाइन उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस आदेश के बाद यूपी के एक बड़े वर्ग में खलबली मची हुई थी कि अचानक योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से अपनी सरकार के मंत्रियों के लिए आचरण संहिता लागू करने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

नियमों के इस आचरण संहिता में कहा गया है कि अगर किसी मंत्री को पांच हज़ार रुपये से ज्यादा का उपहार मिल रहा है तो वह उसके लिए इनकार कर दे। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सभी विधायकों और मंत्रियों के लिए ये मानक तय किए गए हैं।

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से ऐसे नियम पहले से जारी है, यूपी में सरकार के वरिष्ठ मंत्री कहते हैं कि वैसे तो वास्तव में उस पर अमल नहीं हो पाया है। वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री की ओर से सभी मंत्रियों को उपलब्ध कराई गई आचरण संहिता के मुताबिक निर्धारित से ज्यादा की राशि का उपहार है तो उसको राज्य की संपत्ति समझा जाएगा।

सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है इस आचरण संहिता के मुताबिक मंत्रियों और उसके परिवार से जितने भी जुड़े हुए लोग हैं उन्हें कीमती उपहार नहीं लेने चाहिए। हालांकि भाजपा के केंद्रीय नेताओं से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि यह व्यवस्था पहले से ही केंद्र सरकार ने लागू की है, लेकिन सैद्धांतिक रूप से इस पर अमल नहीं हो पाता है।

उनका कहना है कि इस बार इस आचरण संहिता का सैद्धांतिक रूप से पालन हो इसके लिए कुछ अन्य व्यवस्थाएं भी की गई है, पर इसका खुलासा नहीं किया गया है। मंत्री विदेश दौरे पर जाता है तो वहां मिले उपहार की कीमत अगर तय मानक से ज्यादा है, तो उसे ट्रेजरी में जमा कराना पड़ेगा।

सूत्र बताते हैं कि मंत्रियों को या पहले पता करना होगा संस्था सिर्फ दिखावे के लिए तो नहीं बनी है या मंत्री को बुलाकर कोई एजेंडा तो सेट नहीं किया जा रहा है। हर स्तर पर इसे परखने के बाद ही मंत्री उस कार्यक्रम में जा सकेंगे। इसके अलावा यह व्यवस्था भी की गई है कि अगर कोई पुरस्कार लेने-देने वाली संस्था विदेशी है तो वहां जाने से पहले मंत्रियों को सरकार से अनुमति लेनी होगी।

उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़े एक जिम्मेदार नेता कहते हैं कि भाजपा सरकार की कोशिश यह है कि जितनी पारदर्शिता होगी उतना ही जनता में भरोसा बढ़ेगा। मंत्रियों और चुने हुए जनप्रतिनिधियों का आचरण समाज में अहम भूमिका निभाता है, इसलिए इस तरीके की आचरण संहिता बनाकर सभी को पालन करने के लिए कहा गया है।