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रायपुर। झीरम आयोग की पहली सुनवाई आज बिलासपुर हाईकोर्ट में हुई। केवल 15 मिनट चली कार्रवाई में दो शपथ पत्र पेश किए गए। इतने समय में ही 7 मई को रायपुर में अगली सुनवाई की तारीख तय हुई। नए आयोग की सुनवाई में पहले जारी जांच के बिंदुओं के साथ ही तीन नए बिंदुओं को शामिल किया गया है।

छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में मई 2013 में हुए नक्सली हमले की जांच के लिए नया आयोग बना है। अब इसकी अगली सुनवाई 7 मई को रायपुर में की जाएगी। आयोग की पहली सुनवाई मंगलवार को बिलासपुर सर्किट हाउस में शुरू हुई। यह सुनवाई केवल 15 मिनट में खत्म हो गई।

इस दौरान कांग्रेस नेता जितेंद्र मुदलियार और निखिल द्विवेदी की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और अधिवक्ता देवेंद्र प्रताप सिंह के शपथपत्र के साथ वकालतनामा प्रस्तुत किया गया। वहीं राज्य शासन की ओर से अधिवक्ता सुदीप अग्रवाल ने शपथपत्र पेश किया है।

राज्य शासन ने करीब पांच महीने पहले दो सदस्यीय (रिटायर्ड जस्टिस सुनील अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन) न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। तब आयोग को 6 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने की बात कही थी। लेकिन आयोग के गठन के साथ ही सुनवाई की प्रक्रिया में ही पांच महीना बीत गया है। नए आयोग की सुनवाई में पहले जारी जांच के बिंदुओं के साथ ही तीन नए बिंदुओं को शामिल किया गया है।

मामले में भाजपा सरकार के समय में हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। तब से आयोग इस मामले की सुनवाई कर रही थी। जस्टिस प्रशांत मिश्रा के चीफ जस्टिस बनने के पहले ही आयोग का कार्यकाल 30 सितंबर 21 को खत्म हो गया था। इसी बीच उनका प्रमोशन चीफ जस्टिस के पद पर हो गया।

राज्य शासन ने नए आयोग गठन के लिए जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग का कार्यकाल खत्म हो गया है और जस्टिस प्रशांत मिश्रा चीफ जस्टिस बनकर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट चले गए हैं। ऐसे में सरकार ने आयोग में दो नए सदस्यों को शामिल करने का निर्णय लिया है।

इधर झीरम घाटी हमले की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने 6 अक्टूबर को राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। झीरम हत्याकांड जांच आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी यह रिपोर्ट लेकर राजभवन पहुंचे थे। यह रिपोर्ट 10 खंडों और 4 हजार 184 पेज में तैयार की गई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने आयोग की जांच पूरी नहीं होने की बात कही थी।

9 साल पहले हुआ था हमला
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान 25 मई 2013 को झीरम घाटी में हुए एक नक्सली हमले में 29 लोग मारे गए थे। इसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार के साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल जैसे नाम भी शामिल थे। देश में किसी राजनीतिक दल पर हुआ यह सबसे बड़ा हमला था।

पुलिस कर सकती है जांच
तत्कालीन भाजपा शासनकाल में झीरम कांड के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए से जांच कराई गई थी। एनआईए की जांच में इसे नक्सली हमला बताया था। जबकि कांग्रेसी इसे राजनीतिक हत्या की साजिश बता रहे थे। एनआईए ने जांच के बाद दो दर्जन से अधिक नक्सलियों की गिरफ्तारी कर चालान विशेष अदालत में पेश कर दिया है। इधर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दिवंगत पूर्व विधायक उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने जगदलपुर थाने में राजनीतिक षडयंत्र और हत्या का केस दर्ज कराया था। मामले में एनआईए ने हाईकोर्ट में चुनौती थी। अब हाईकोर्ट ने भी एनआईए की अपील को खारिज कर दिया है। ऐसे में पुलिस अब इस केस की जांच शुरू कर सकती है।