नई दिल्ली। दुनिया में मंकीपॉक्स वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच डर का माहौल है। अफ्रीका से निकला यह वायरस अब तक यूरोप से होते हुए 20 देशों में फैल चुका है। हालांकि, अभी तक भारत में इसका एक भी मामला सामने नहीं आया है। मगर, इस बीच भारतीय कंपनी ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए इस वायरस की जांच के लिए आरटी-पीसीआर किट बना ली है।

चेन्नई स्थित चिकित्सा उपकरण कंपनी ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर ने कहा है कि उसने मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए एक रीयल-टाइम आरटी-पीसीआर-किट विकसित किया है। मंकीपॉक्स आरटी-पीसीआर किट चार रंगों की फ्लोरोसेंस-आधारित किट है, जो एक ट्यूब सिंगल रिएक्शन फॉर्मेट में चेचक और मंकीपॉक्स के बीच अंतर कर सकती है।

कंपनी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि अगर टेस्ट किट में वायरस मौजूद है, तो इसका पता लगाने में करीब 1 घंटे का समय लगता है। कंपनी ने आगे कहा कि वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया (वीटीएम) में ड्राई स्वैब का इस्तेमाल आगे की जांच के लिए किया जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन मंकीपॉक्स की प्रयोगशाला पुष्टि के लिए त्वचा के घाव की सामग्री, घाव की पपड़ी जैसे नमूने लेने की सिफारिश करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया भर में मंकीपॉक्स के मामले बढ़ गए हैं, जिससे 20 देशों में संक्रमितों की कुल संख्या 200 हो गई है।

आईसीएमआर के अधिकारियों ने कहा कि भारत पूरी तरह से तैयार है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर किसी मरीज में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत आइसोलेट कर दें।

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि दुनिया में अब तक मंकीपॉक्स के 200 पुष्ट मामले और 100 से अधिक संदिग्ध मामले हैं। आने वाले दिनों में इनकी संख्या बढ़ सकती है। WHO में COVID-19 प्रतिक्रिया के तकनीकी प्रमुख मारिया वैन केरखोव ने कहा कि अधिकांश मंकीपॉक्स के मामले पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों की आबादी में हैं, लेकिन यह सिर्फ उस समूह का नहीं होगा।