रायपुर। कोंटा में आयोजित चौपाल कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास कभी नक्सली कमांडर रहा मड़गम मुदराज पहुंचा और उसने बताया कि सरेंडर करने के बाद कैसे उसकी लाइफ बदल गई। मड़गम ने बताया कि आपने सड़क, कैम्प और स्कूलों को सुधारकर नक्सल प्रभावित इलाके की तस्वीर बदल दी है। अब यहां लोगों में नक्सलियों का खौफ नहीं बल्कि आगे बढ़ने की चाहत है।

मड़गम ने कहा कि यहां के लोग सरकार की योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। यही मड़गम ने इस दौरान कहा कि मैं आपसे हाथ मिलाना चाहता हूं । इस पर मुख्यमंत्री ने बड़ी आत्मीयता से मड़कम के कंधे पर हाथ रखा और हाथ भी मिलाया । मुख्यमंत्री ने मड़कम के मुख्यधारा में लौटने पर सराहना की और उनके लिए ताली भी बजवाई।

मड़कम ने बताया कि वे राह भटककर नक्सली संगठन में शामिल हो गए थे। लेकिन अपने ही भाई बन्धुओं का खून बहाने से आत्मग्लानि के चलते नींद नहीं आती थी। फिर एक दिन आत्मसमर्पण करने की ठान ली । आत्मसमर्पण के बाद एसपीओ बने। इसके बाद सिपाही, एएसआई, एसआई और अब डीआरजी में इन्स्पेक्टर हैं। उन्होंने कहा कि हाथों में बंदूक पहले भी थी और आज भी है, लेकिन दोनों में फर्क है।

मड़गम ने बताया कि कभी उनकी पत्नी भी उनके साथ संगठन में थीं और वहीं  उसे ट्रेनिंग देता था लेकिन हम दोनों ने तय किया कि अब खून-खराबे की जिंदगी नहीं जीना है। जिनके खिलाफ हमने बन्दूक उठाई है वे हमारे ही भाई-बहन हैं। मुख्यधारा में लौटकर अच्छा जीवन जीना है। मड़कम कहते हैं कि आज वे उच्च पद पर पहुंच गए हैं। सैलरी भी अच्छी है। इस कारण बच्चों को अच्छे से पढ़ा पा रहे हैं। मेरे तीनों बच्चे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ रहे हैं और अच्छी लाइफ स्टाइल जी रहे हैं। अगर आज नक्सली संगठन में होता तो इन सब चीजों की कल्पना भी नहीं कर सकता था।