सीआईएनए डेस्क। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड के मामले में गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण को रद्द कर दिया है। कुछ साल पहले तक यह फैसला अकल्पनीय था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला गर्भपात विरोधी प्रयासों के दशकों के उत्तराधिकार का प्रतीक है। शुक्रवार के घटनाक्रम से लगभग आधे राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगने की उम्मीद है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि वह उन राज्यों में गर्भपात कानूनों के मद्देनजर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे, जहां उन्हें प्रतिबंधित किया जाएगा। बाइडेन ने कहा कि राजनेताओं को उन फैसलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जो एक महिला और उसके डॉक्टर के बीच होंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोर्ट के फैसले को गलत बताया है। उन्होंने गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण के पैरोकारों से शांतिपूर्ण तरीकों से ही विरोध करने की अपील की। वहीं, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस फैसले को सही बताया और कहा कि इसे पहले ही आ जाना चाहिए था।

गौरतलब है कि गर्भपात विरोधी कानून राष्ट्रीय नहीं है। कुछ डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले राज्यों जैसे कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क ने प्रजनन अधिकारों का विस्तार किया है। ऐसे में प्रतिबंधित राज्यों में गर्भवती महिलाओं को गर्भपात की सुविधा प्राप्त करने के लिए सैकड़ों मील का सफर तय करना होगा या दवा और अन्य तरीकों से घर पर गर्भपात कराना होगा।

शोध से पता चलता है कि कानूनी है या नहीं, लोग गर्भपात करवाते हैं। उन देशों में जहां गर्भपात की पहुंच सीमित या अवैध है, महिलाओं को संक्रमण, अत्यधिक रक्तस्राव और गर्भाशय के छिद्र जैसी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।

गर्भपात संयुक्त राज्य अमेरिका में गोली के माध्यम से गर्भावस्था को समाप्त करने का सबसे आम तरीका है। कोरोना वायरस महामारी के दौरान इसमें और तेजी आई है। इस दौरान खाद्य एवं औषधि प्रशासन की ओर से इन दवाओं की आपूर्ति भी बढ़ा दी गई है।