RAIPUR. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में दीपावली की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप आज धनतेरस पर अपने निवास के द्वार पर धान की झालर बांधने की रस्म पूरी की। मुख्यमंत्री बघेल ने दीपावली के पावन पर्व के मौके पर जनप्रतिनिधिगणों और सम्माननीय जनों को शुभकामना पत्र छत्तीसगढ़ियों उत्पादों का उपहार भेजा है।

दीपावली के दौरान खेतों में जब नयी फसल पककर तैयार हो जाती है, तब ग्रामीण धान की नर्म बालियों से कलात्मक झालर तैयार करते हैं। इनसे घरों की सजावट कर वे अपनी सुख और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें पूजन के लिए आमंत्रित करते हैं। ऐसा लोक विश्वास है कि उनका यह आमंत्रण उन चिड़ियों के माध्यम से देवी तक पहुंचता है, जो धान के दाने चुगने आंगन और द्वार पर उतरती हैं। इस तरह प्रदेश की लोक-संस्कृति अपनी खुशियों को प्रकृति के साथ बांटती है और उसे सहेजती है। छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक धान की झालर घर के आंगन और द्वार पर लटकाए जाने की परंपरा है। जिसे पहटा अथवा पिंजरा भी कहा जाता है।

मुख्यमंत्री बघेल ने डॉ. रमन सिंह सहित जनप्रतिनिधिगणों और सम्माननीय जनों को शुभकामना पत्र सहित राज्य के गौठानों, रूरल इंस्ट्रियल पार्क तथा आजीविका मिशन बिहान की ग्रामीण स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित छत्तीसगढ़ियों उत्पादों का उपहार भेजा है। मुख्यमंत्री द्वारा सम्माननीय जनों को भेजे गए दीवाली के उपहार पैक में सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक बेलमेटल कछुआ, मिट्टी के दीये सहित काजू, रोज मसाला ब्लैक टी, इम्यूनिटी बुस्टर मसाला ब्लैक टी, डेटॉक्स ब्लैक टी, प्राकृतिक शहद, हर्बल टी, कोकोनट ऑयल, आर्गेनिक आचार, बेर आचार, गोबर धूपबत्ती, जैविक मसाले, तिखूर प्री-मिक्स, लेमन ग्रास ऑयल, कोदो लड्डू, मशरूम कुकीज सहित भूमगादी बस्तर द्वारा उत्पादित कोदो और कुटकी अन्य स्थानीय उत्पाद शामिल हैं।