रायपुर। बीते दिन मंगलवार से जारी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई में अधिकारियों को अब तक कई अहम सफलताएं हाथ लगी है। ईडी की इस कार्रवाई को छत्तीसगढ़ में बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है। अपनी कार्रवाई के पहले ही दिन ईडी ने 4 करोड़ रुपये नगद के साथ ही काफी मात्रा में जेवरात और सोना भी बरामद किया है। इनके अलावा कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी ईडी की टीम के हाथ लगे हैं। ईडी के एक्शन से अधिकारियों और कारोबारियों में खलबली मची हुई है।

बता दें कि मंगलवार को सुबह 5 बजे ED की टीम CRPF के जवानों के साथ प्रदेश के चर्चित कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, महासमुंद में रहने वाले उनके ससुर और कांग्रेस के पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर, रायगढ़ कलेक्टर और IAS अधिकारी रानू साहू, जेपी मौर्य, समीर विश्नोई, बादल मक्कड़, सनी लुनिया, अजय नायडू के दर्जन भर ठिकानों पर दबिश दी थी। सुबह-सुबह ईडी के छापे से प्रदेश के प्रशासनिक और राजनीतिक हल्कों में हड़कंप मच गया था।

गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने यह कार्रवाई जून-जुलाई में हुए आयकर विभाग के छापे के बाद की है। सूर्यकांत तिवारी सहित अन्य अधिकारियों के यहां छापे के बाद आयकर विभाग ने 9.5 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित नगदी और लगभग 5 करोड़ रुपये के जेवरात जब्त करने का खुलासा किया गया था। वहीं 200 करोड़ रुपये से अधिक के कलेक्शन के सबूत मिलने की बात कही गई थी। इस पूरी कार्रवाई में भी आयकर विभाग को अहम दस्तावेज मिले थे। जिसके बाद प्रदेश में मंगलवार को ईडी ने छापेमार कार्रवाई की है।

बताया जा रहा है कि ईडी के दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से आए पांच डिप्टी डायरेक्टर और एक दर्जन से ज्यादा असिस्टेंट डायरेक्टरों की मौजूदगी में जांच चल रही है। दो आइएएस अधिकारियों ने हाल ही में धमतरी के कुरुद में जमीन में निवेश किया है। यह जमीन रायपुर से विशाखापट्टनम भारत माला प्रोजेक्ट के रास्ते में खरीदी गई है। जांच में ईडी की टीम को जमीन के दस्तावेज भी हाथ लगे हैं।

इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उत्तर प्रदेश रवाना होने से पहले एयरपोर्ट पर मीडिया से चर्चा में कहा कि यह आखिरी छापा नहीं है। चुनाव तक ये बार-बार आएंगे। भाजपा सीधे लड़ नहीं पा रही है, तो ईडी, आईटी, डीआरआइ के माध्यम से लड़ने की कोशिश कर रही है। जनता जान चुकी है कि भाजपा सेंट्रल एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। यह डराने-धमकाने का ही काम है, उसके अलावा कुछ नहीं है। मैं पहले ही कह चुका हूं कि साढ़े छह हजार करोड़ का चिटफंड कंपनियों में लोगों का पैसा डूबा है। उसे संज्ञान में लें, लेकिन ये उसमें कुछ नहीं करने वाले हैं।