लोकवाणी की 24 वीं कड़ी में छत्तीसगढ़ की जनता से रू-ब-रू हुए सीएम बघेल

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी के माध्यम से छत्तीसगढ़ के लोगों से रू-ब-रू हुए। इस मौके पर उन्होंने राज्य की जनता को संबोधित किया और कई बातें साझा की। आज लोकवाणी की 24 वीं कड़ी के माध्यम से सीएम बघेल ने लोगें से ‘नवा छत्तीसगढ़ और न्याय के तीन वर्ष’ विषय पर  अपनी बात रखी। इस मौके पर सीएम बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल समावेशी विकास का मॉडल है। जिसके मूल में सद्भाव, करुणा तथा सबकी भागीदारी है।

छत्तीसगढ़ मॉडल वास्तव में सहभागिता, समन्वय, सर्वहित, अपनी विरासत का सम्मान करते हुए, सद्भाव के साथ मिलजुलकर आगे बढ़ने के विचार से प्रेरित है। सीएम बघेल ने नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी, और गोधन न्याय योजना की बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि किस प्रकार इन योजनाओं का लाभ लोगों को मिल रहा है। सीएम बघेल ने बीते शहीद वीर नारायण सिंह के बलिदान दिवस व अगामी घासीदास जयंती को याद करते हुए कहा कि सरकार इन विभुतियों के आदर्शों पर चल रही है। प्रदेश के गरीब व आदिवासियों के विकास का काम कर रही है।

मुख्यमंत्री ने बघेल ने कहा कि राज्य के संसाधनों का उपयोग कर इस पर काम शुरू किया गया इसकी वजह से औद्योगिक विकास ने रफ्तार पकड़ी। यही कारण रहा कि बीते तीन साल में 1 हजार 751 उद्योग लगे और 32 हजार 192 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला। सरकारी तथा अर्द्धशासकीय कार्यालयों में बहुत से पदों पर तो 20 साल बाद स्थायी भर्ती की गई। अब तक प्रदेश में  4 लाख 67 हजार से अधिक नौकरियां दी गई। मनेरगा, स्व-सहायता समूहों, वन प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों को कन्वर्जेशन के माध्यम से रोजगार के अवसरों से जोड़ा गया, जिसके कारण 50 लाख से अधिक लोगों  को आय का श्रोत मिला। सीएम बघेल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना हो या प्रशासन के क्षेत्र में 72 तहसीलों, 7 अनुभागों तथा 5 जिलों के गठन की पहल, इन सबका उद्देश्य समाज के कमजोर तबकों को न्याय दिलाना ही है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि वर्तमान में लोग अपने अधिकारों, अवसरों और वास्तविक तरक्की को स्वयं महसूस कर रहे हैं, सच होते देख रहे हैं। यही हमारी सबसे बड़ी सफलता है। छत्तीसगढ़ में लोगों ने तीन साल में हुए बदलावों को न सिर्फ करीब से देखा है, बल्कि उसे अपने जीवन में बेहतरी को महसूस कर रहे हैं। इस तरह हमने ऐसी योजनाएं बनाई, जो वास्तव में आदिवासी अंचल हो व मैदानी क्षेत्र सभी का भला कर सके। लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी के साथ आदिवासियों और किसानों के लिए न्याय का आगाज हुआ। निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा से हजारों निरस्त व्यक्तिगत दावों को वापस प्रक्रिया में लाया गया।

सीएम बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 से बढ़ाकर 4000 रुपए प्रतिमानक बोरा किया गया। शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना किया गया जिससे वन आश्रित परिवारों के जीवन में खुशियां आई। तीन साल पहले सिर्फ 7 वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही थी। लेकिन हमने 52 वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की। इस तरह लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी करने, प्रसंस्करण करने, इनमें महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़ने और आदिवासी समाज के सशक्तीकरण में बड़ी भूमिका निभाने के लिए छत्तीसगढ़ को भारत सरकार ने 25 पुरस्कार प्रदान किए है। इतना ही नहीं बल्कि स्वच्छता के लिए भी तीन साल में छत्तीसगढ़ को लगातार तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। इस बार छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक 67 नगरीय निकायों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला है।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि किसानों के हित में हमेशा काम करूंगा। बचपन से जवानी तक खेतों में काम किया है इसलिए किसानों की समस्या से अवगत हूं। हमारी सरकार ने आते ही किसानों की बेहतरी के लिए काम करना शुरू किया। सीएम बघेल ने कहा कि इनपुट कास्ट कम होना और आउटपुट का दाम अच्छा मिलना ही खेती को लाभदायक बना सकता है। इसलिए हमने सबसे पहले किसानों पर जो कर्ज का बोझ था, डिफाल्टरी का कलंक था, बकायादारी की जो बाधा था, उसे कर्ज माफी से ठीक किया।

पहले साल जब हमने आपको 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदना शुरू किया तो कुछ लोगों ने अड़ंगा डालने का प्रयास किया। फिर हमने इसका दूसरा रास्ता निकीला। छत्तीसगढ़ के किसनों को प्रति एकड़ 9000 रुपए की दर से दनपुट सब्सिडी दे रहे हैं। इस प्रकार प्रदेश में किसानों को प्रति क्विंटल धान का दाम 25 सौ रुपए से भी ज्यादा मिल रहा है। सीएम बघेल ने कहा कि हमने तो धान की बंपर फसल का भी स्वागत किया है। इस साल 105 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का अनुमान है। हम केन्द्र सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति हो। यदि केन्द्र से अनुमति मिलती है तो प्रदेश के विकास को और रफ्तार मिलेगी।

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