नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने नया एलान किया है। इसमें वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग और कोरोनावायरस से प्रभावित लोग अब घर बैठे वोट दे सकेंगे। ये सुविधा देने जा रहे हैं डोरस्टेप वोटिंग से।

डोरस्टेप वोटिंग क्या है और आखिर कैसे किसी व्यक्ति को घर बैठे ही वोट देने की सुविधा मिल जाएगी। यहां एक सवाल ये भी है कि क्या इस सुविधा को पहले किसी राज्य के चुनावों में इस्तेमाल किया गया है।

पांच राज्यों के चुनावों को लेकर चुनाव आयोग (इलेक्शन कमीशन) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी। कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा देशभर में बढ़ता जा रहा है। इस बीच आयोग ने बताया कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव कराने के लिए लगभग सभी राजनीतिक दल तैयार हैं। ऐसे में इन सभी राज्यों में चुनाव समय पर होंगे। हालांकि, चुनाव आयोग के एक एलान ने सभी को चौंका दिया है। ये घोषणा है वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों को घर से वोट की सुविधा देने का।

वोटिंग को लेकर नया क्या है आयोग का प्लान?
चुनाव आयोग के एलान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पहली बार अब 80 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों को, दिव्यांग वोटरों को और कोरोनावायरस से प्रभावित लोगों को घर से वोट देने की वैकल्पिक सुविधा देगा। हम तो चाहते हैं कि आप पोलिंग स्टेशन में आकर वोट देकर जाएं। इसके बावजूद अगर कुछ लोग नहीं आना चाहते हैं, तो चुनाव आयोग खुद उनके दरवाजे पर जाएगा।

ये सिस्टम पोस्टल बैलट से अलग क्यों?
1. डोरस्टेप वोटिंग का फॉर्मूला पोस्टल बैलट की सुविधा का अपग्रेड है। गौरतलब है कि भारत में पोस्टल बैलट की सुविधा पहले भी रही है। लेकिन चुनाव आयोग ने अब तक इस सुविधा को सीमित स्तर पर ही मुहैया कराया है। यानी पोस्टल बैलट का इस्तेमाल पहले सिर्फ सैन्यबल- थलसेना, जलसेना और वायुसेना के सदस्य, भारत के बाहर से काम कर रहे सरकारी अफसर, उनकी पत्नियां और जिस राज्य में चुनाव हो रहे हैं, वहां ड्यूटी पर लगाए गए पुलिसकर्मी ही उठा सकते थे। इसके लिए वे चुनाव आयोग की तरफ से दिए गए फॉर्म को भरकर पोस्ट से वोट कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में वो अपना वोट चुनाव आयोग को पोस्ट के जरिए भेज सकते हैं।

2. डोरस्टेप वोटिंग के तहत अब 80 साल से ऊपर के बुजुर्गों, दिव्यांगों और कोरोना प्रभावित जो भी लोग वोट करना चाहेंगे, उन्हें चुनाव आयोग की तरफ से फॉर्म मुहैया कराया जाएगा। ईसी के नए प्रावधानों के तहत यह फॉर्म उन्हें बूथ स्तर के अफसर की तरफ से घर जाकर दिया जाएगा और इसके लिए तारीखों का एलान पहले से ही हो जाएगा। वोट करने वालों के नाम नोट किए जाएंगे और इन्हें राजनीतिक दलों को मुहैया कराया जाएगा, ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रह सके। राजनीतिक दल इन नामों के आधार पर फर्जी वोटिंग न होना भी सुनिश्चित कर सकते हैं। हालांकि, पूरी प्रक्रिया में मतदान को गुप्त और निष्पक्ष रखने की कोशिश होगी।

ये प्रक्रिया के बाद आयोग करेगा पोलिंग दलों का गठन
वोटर की तरफ से इन फॉर्म्स को भरने के बाद आयोग पोलिंग दलों का गठन करेगा। इन पोलिंग दलों की संख्या डोरस्टेप वोटिंग की मांग करने वालों के आधार पर तय की जाएगी। यही पोलिंग दल बाद में चुनावी प्रक्रिया पूरी करने के लिए घर-घर जाएंगे और सीलबंद लिफाफे में रखे गए फॉर्म्स को जुटाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी। घर से वोटिंग की सुविधा का फायदा उठाने वालों को बूथ वोटिंग का अवसर नहीं दिया जाएगा। डोरस्टेप वोटिंग के जरिए जुटाए गए मतों को बूथ पर होने वाली वोटिंग से जल्दी पूरा कर लिया जाएगा।

जानें कहां दी जा चुकी है यह सुविधा?
डोरस्टेप वोटिंग की सुविधा सबसे पहले 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव में दी गई थी। तब इसका फायदा सिर्फ बुजुर्गों और दिव्यांगों तक ही सीमित रखा गया था। हालांकि, कोरोना महामारी के आने के बाद ये सुविधा सीमित स्तर पर बिहार में मुहैया कराई गई। चुनाव आयोग के मुताबिक, बिहार में सिर्फ तीन फीसदी लोगों ने ही इस सुविधा का फायदा लिया। पिछले साल तमिलनाडु और पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनाव के लिए भी चुनाव आयोग ने यह सुविधा मुहैया कराई थी।

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