नई दिल्ली। देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनावी माहौल है। 31 जनवरी से बजट सत्र शुरू हो गया है और इस बीच किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ एक बार फिर से मोर्चा खोल दिया है। देश के 500 जिलों में किसान सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने जा रहे हैं। केंद्र पर किसानों से किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए, भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सोमवार को पूरे देश में कृषि मुद्दों पर ‘विश्वासघात दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने रविवार को दावा किया कि नौ दिसंबर को सरकार द्वारा किए गए वादों के पत्र के आधार पर दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन को बंद कर दिया गया था, लेकिन वादे अधूरे रहे। टिकैत ने ट्वीट किया कि किसानों के प्रति सरकार की अवज्ञा के खिलाफ 31 जनवरी को देशव्यापी ‘विश्वासघात दिवस’ मनाया जाएगा। सरकार ने 9 दिसंबर के पत्र के आधार पर किसी भी वादे को पूरा नहीं किया, जिस पर आंदोलन को निलंबित कर दिया गया था।

सभी किसान संगठन आए साथ

यूनाइटेड किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 31 जनवरी को देश भर में ‘विश्वासघात दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। समन्वय समिति की बैठक के बाद किसान संगठनों के संगठन एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘मोर्चे से जुड़े सभी किसान संघ इस विरोध को बड़े उत्साह के साथ उठाएंगे। उम्मीद है कि इस कार्यक्रम का आयोजन में किया जाएगा, जिसमें देश के कम से कम 500 जिलों में किसान शामिल होंगे।

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे थे किसान

नवंबर 2020 में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की थी। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया था। किसानों ने एक साल से अधिक समय तक सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं को बंद करके रखा। इसके बाद नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की, जिसके बाद प्रदर्शनकारी किसान वहां से हटे थे।

इन वादों को पूरा नहीं करने का आरोप

  • किसानों को एमएसपी देने के लिए कमेटी का गठन करने का वादा।
  • आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का वादा।
  • भारत सरकार के सभी विभागों, एजेंसियों और केंद्र शासित प्रदेशों में आंदोलनकारियों द्वारा दायर मामलों को वापस लेने के लिए सरकार की सहमति
  • बिजली बिल पर किसान को प्रभावित करने वाले बिल को एसकेएम से चर्चा के बाद ही संसद में पेश करेंगे।