भिलाई। आंगनबाड़ियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ में जारी सुपोषण अभियान में राज्य सरकार ने नया आदेश जारी किया है। इस अभियान में शामिल पात्र महिला-बच्चों को गर्म भोजन परोसने का फरमान जारी किया है। इसे कार्यकर्ता व्यावहारिक नहीं मानतीं। उनका कहना है इससे अच्छा सूखा राशन बांटा जाना चाहिए।

आंगनबाड़ियों में महिला एवं बाल विकास विभाग से सुपोषण अभियान संचालित है। पर विभाग के नए आदेश से कार्यकर्ता परेशान हो गई हैं। वे इसे व्यावहारिक रूप से सहीं नहीं मानतीं इसलिए असमंजस की स्थिति में हैं। इसकी जगह सूखा राशन देने का आदेश जारी करने की बात कह रही हैं। इसलिए वे असमंजस की स्थिति में हैं।

कार्यर्ताओं का कहना है पोषण आहार वितरण में ताम-झाम इतने हैं कि ये परेशानी भरा है। बता दें कि कोरोना काल के दौरान जिन जिलों में आंगनबाड़ियों का संचालन नहीं है उन जिलों में कार्यकर्ताओं को हितग्राहियों के घरों तक गर्म भोजन पहुंचाने का आदेश जारी हुआ था। इसमें कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया है कि घरों तक भोजन पहुंचाने के लिए बर्तन है न ही टिफिन।

उन्होंने एक और अव्यावहारिक बता की जानकारी दी कि प्रतिदिन इतने लोगों के घरों तक जाना भी संभव नहीं है। वहीं कार्यकर्ताओं को कोरोना संक्रमण का भी डर है। इस आपत्ति के बाद आदेश में बदलाव करते हुए अब आंगनबाड़ी को सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक संचालित करने कहा है। इसमें गरम भोजन बनाने के बाद हितग्राहियों को बर्तन साथ लाकर भोजन ले जाने के लिए सूचित करने कहा गया है। आपत्ति के बाद नया आदेश को भी कार्यकर्ता सहीं नहीं मानतीं।

मामले में आंगनबाड़ी सहायिका संघ की प्रांताध्यक्ष सरिता पाठक का कहना है कि कोरोना काल में सूखा राशन का वितरण करना चाहिए। यह ज्यादा व्यावहारिक और बेहतर होगा, क्योंकि आंगनबाड़ी में गर्म भोजन बनाने की बेहतर व्यवस्था ही नहीं है। उन्होंने अपनी इस मांग को लेकर सोमवार को एक बार फिर शासन को ज्ञापन सौपने की बात कही है।

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