CINA NEWS DESK। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व हर साल हजारों सालों में मनाया जा रहा है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा पूरे उत्साह के साथ की जाती है। भगवान शिव के भक्तों का यह सबसे बड़ा त्योहार महाशिवरात्रि एक मार्च 2022 मंगलवार मनाई जाएगी।

पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के कारण शिवालयों में भक्तों को जाने का और हर्षोल्लास से महाशिवरात्रि मनाने का मौका नहीं मिला था। मगर, अब जबकि कोरोना की वैक्सीनेशन हो चुकी हैं और कोरोना को लेकर नियमों में ढील भी दी जा रही, तो एक बार फिर से पहले की तरह ही इस बार भी शिवभक्तों को रुद्राभिषेक करने का मौका मिलेगा।

इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि कहते हैं कि भोलेनाथ तो इतने सरल और सहज हैं कि यदि भक्ति भावना से अर्पित किया जाए, तो वह महज एक लोट जल से ही संतुष्ट हो जाते हैं। मगर, उन्हें रुद्राभिषेक बहुत पसंद है। शिव पुराण में लिखा है कि जो भक्त सही विधि के साथ शिवजी का अभिषेक करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे करें भगवान भोलेनाथ का अभिषेक जिससे पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं।

ऐसे करें अभिषेक
गिरीश व्यास ने बताया कि भगवान शिव का ध्यान करते हुए तांबे के बर्तन में दूध लेकर उसके चारों ओर कुमकुम से तिलक करें। ‘ऊं श्री कामधेनवे नमः’ मंत्र का जाप करते हुए पात्र में ‘मोली’ बांध दें। इसके बाद ‘शिवलिंग’ को साफ पानी से धोकर साफ कपड़े से पोंछें। इसके बाद गाय के दूध से अभिषेक करें। फिर शहद चढ़ाएं। गाय के दूध से बने घी, चंदन, केसर के लेप करें। गंगा जल से शिवलिंग को एक बार फिर साफ करें। शक्कर का लेप करें। शुद्ध जल चढ़ाएं और आखिरी में चंदन का लेप लगाकर बिल्वपत्र तथा धतूरा चढ़ाएं। भगवान शिव के प्रिय मंत्र ‘ऊं नमः शिवाय’ का जाप करते हुए ‘शिवलिंग’ पर फूल चढ़ाएं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरैन ऊं नम: शिवाय का जाप करते रहें। अगरबत्ती जलाएं। धूप दें और आरती करें।

इन चीजों का उपयोग वर्जित
इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा और अभिषेक में कुछ चीजों का उपयोग वर्जित है। इनमें तुलसी, शंख, नारियल पानी, केतकी का फूल और हल्दी शामिल हैं। शिवलिंग में कभी भी हल्दी नहीं लगाई जाती है। इसलिए शिव पूजन में इन चीजों का प्रयोग करने से बचना चाहिए।