रायपुर। छत्तीसगढ़ में गोबर खरीदी के बाद अब गो-मूत्र की खरीदी के संबंध में राज्य सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आज यहां उनके निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में गौ-मूत्र की खरीदी के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। मुख्यमंत्री ने गो-मूत्र खरीदी के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए टेक्निकल कमेटी के गठन के निर्देश दिए।

इस कमेटी में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और कामधेनु विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस कमेटी के गठन के बाद 15 दिनों में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। यह टेक्निकल कमेटी गो-मूत्र के संग्रहण, गो-मूत्र की गुणवत्ता की टेस्टिंग, गो-मूत्र से तैयार किए जाने वाले उत्पादों के बारे में अपनी अनुशंसा देगी।

बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौठानों में विकसित किए जाने वाले महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना के लिए विभिन्न जिलों में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चे माल और उनसे तैयार किए जाने वाले उत्पादों के लिए पोटेंशियल मैपिंग का कार्य 15 दिनों में पूर्ण करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। उल्लेखनीय है कि रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के लिए राज्य सरकार के वर्ष 2022-23 के बजट में 600 करोड़ का प्रावधान किया है।

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि हर विकासखण्ड में चार-चार रूरल इंडस्ट्रियल पार्क विकसित करने की कार्ययोजना तैयार की जाए, इसमें स्थानीय स्तर पर कच्चे माल की उपलब्धता का ध्यान रखा जाए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बीजापुर, दंतेवाड़ा और कोण्डागांव जिले में जहां महुआ, इमली, तिखुर के साथ विभिन्न लघु वनोपजें होती है, वहां इनके प्रसंस्करण की इकाईयां स्थापित की जाएं।

इसी तरह कोरबा से सरगुजा तक के गौठानों में वनौषधियों के प्रसंस्करण के लिए, कोरबा, जांजगीर-चांपा, बस्तर में कोसे का काम होता है, यहां कोसे के कपड़े तैयार करने की इकाईयां स्थापित की जाएं। मुख्यमंत्री ने रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में बिजली, पानी और वर्किंग स्पेस विकसित करने, इन पार्क में महिला स्व-सहायता समूहों और ग्रामीणों को विभिन्न गतिविधियों में प्रशिक्षण देने के लिए ट्रेनिंग हॉल की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में तैयार किए जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ उनकी मार्केटिंग की भी पुख्ता व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में मांग के अनुसार उत्पाद तैयार किए जाने चाहिए, ताकि उत्पादों की खपत आसानी से हो सके। उन्होंने कहा कि अधिकारी गौठानों का भ्रमण कर वहां संचालित गतिविधियों का निरीक्षण करें और उनका सुचारू संचालन सुनिश्चित करें।

गो-मूत्र से बॉयो फर्टिलाईजर और बॉयो इनसेक्टिसाइडस होते हैं तैयार
बैठक में बताया गया कि गो-मूत्र से बॉयो फर्टिलाईजर और बॉयो इनसेक्टिसाइडस तैयार किए जाते हैं गौ-मूत्र में यूरिया सहित अनेक मिनिरल और इंजाइम्स भी होते हैं। फर्टिजलाईजर के रूप में गौ-मूत्र का उपयोग करने से सूक्ष्म पोषक तत्व नाईट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का अवशोषण बढ़ता है। पौधों की ऊंचाई और जड़ में अच्छी वृद्धि होती है, मिट्टी में लाभकारी जीवाणु बढ़ते हैं और गौ-मूत्र में पाये जाने वाला यूरिया बहुत से कीटों और बीमारियों को नियंत्रित करता है।