नई दिल्ली। रूस के हमले का सामना कर रहे यूक्रेन में हालात अब तबाही की ओर पहुंच चुके हैं। ऐसे में भारत सरकार ने फिलहाल अपना दूतावास पोलैंड में शिफ्ट करने का फैसला किया है। वहीं, जंग की वजह से अपने घरों को छोड़कर जाने वाले और दूसरे देश में शरणार्थी बनने वाले लोगों के मददगार लोगों की मदद करने का ब्रिटेन ने फैसला किया है। यह फैसला यूक्रेन की राजधानी कीव और कुछ अन्य प्रमुख शहरों पर रूस के हमलों में तेजी आने के बीच लिया गया है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘यूक्रेन के पश्चिमी भागों में हमलों सहित यूक्रेन में तेजी से बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि यहां भारतीय दूतावास को अस्थायी रूप से पोलैंड में स्थानांतरित किया जाएगा। आगे के हालात को देख कर इस पर फिर फैसला लिया जाएगा।

ब्रिटेन देगा लोगों को मदद
ब्रिटिन सरकार ने रविवार को कहा है कि जो लोग यूक्रेन से आए शरणार्थियों को अपने घरों में शरण देंगे, ऐसे लोगों को सरकार 350 पाउंड (35,000 रुपए) प्रति माह भत्ता देगी। यूके के गृह सचिव माइकल गोव ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हजारों शरणार्थी सरकार की योजनाओं से लाभान्वित होंगे। इसमें स्थानीय परिषदों के लिए प्रति व्यक्ति 10,000 पाउंड का अनुदान भी शामिल होगा। इस अनुदान से रूस यूक्रेन संघर्ष के कारण भागने वालों की अतिरिक्त जरूरतों को पूरा किया जा सके।

गृह सचिव माइकल गोव ने कहा कि शरणार्थियों के पास करदाताओं द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) भी पहुंचेगी। गोव ने बताया कि यूक्रेन से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रति व्यक्ति 10,000 पाउंड से अधिक रुपये स्थानीय अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जो बच्चे स्कूल जाने वाले हैं, उन्हें शिक्षा प्रणाली के भीतर समायोजित करने की आवश्यकता है। ऐसे बच्चों के लिए अतिरिक्त अनुदान मुहैया कराया जाएगा।

उन्होंने कहा कि ब्रिटेन आने वाले शरणार्थियों की संख्या की कोई सीमा नहीं होगी। ऐसे में उन्हें काम करने और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंचने के अधिकार के साथ ही देश में रहने के लिए तीन साल की छुट्टी दी जाएगी। इसका लाभ लेने के लिए आवेदन ऑनलाइन करना पड़ेगा और शरणार्थियों को सुरक्षा जांच से गुजरना होगा। बताते चलें कि रूस के यूक्रेन पर हमलों से बचने के लिए 25 लाख से अधिक लोगों के यूक्रेन से पलायन करने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे तेजी से बढ़ते शरणार्थी संकट कहा है।