चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा में ध्वनीमत के साथ धर्मांतरण-रोधी विधेयक पारित किया गया। अब हरियाणा में बल, अनुचित प्रभाव अथवा लालच देकर धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। दोषियों को दस साल तक की जेल की सजा भुगतनी होगी। हालांकि, कांग्रेस ने विधेयक पर विरोध जताया और सदन से वॉकआउट (Walkout) किया। दरअसल, ये विधेयक विधानसभा में चार मार्च को पेश किया गया था और यह आज चर्चा के लिए लाया गया था। नए कानून के तहत झूठ बोलकर, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन या डिजिटल संसाधनों का उपयोग करके शादी के लिए धर्मांतरण कराने वालों को कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल और एक लाख रुपए के जुर्माने लगाया जा सकता है।

विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करवाने पर तीन से दस साल की कैद और तीन लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। व्यक्तियों या संगठनों द्वारा सामूहिक धर्मांतरण करने वालों को पांच से दस साल की जेल और साथ ही चार लाख रुपए का जुर्माना देना होगा। हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को करीब डेढ़ घंटे तक चले बहस, हंगामे और कांग्रेस के वाकआउट के बीच हरियाणा धर्म विरोधी कानून विधेयक-2022 पारित हो गया।

बताते चलें कि हरियाणा से पहले उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक में यह कानून पारित हो चुका है। हरियाणा लॉ अगेंस्ट रिलिजन प्रिवेंशन बिल-2022 के तहत राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ तीन तरह की सजा का प्रावधान किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि जब भारतीय दंड संहिता में जबरन धर्म परिवर्तन के लिए सजा का प्रावधान पहले से ही है, तो नया विधेयक लाने की क्या जरूरत है? पहले ऐसा बिल संसद में पास होना चाहिए। उसके बाद हरियाणा में कानून बने।

इस बीच बिल का समर्थन कर रहे बिजली मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने हुड्डा से कहा कि जब आप मुख्यमंत्री थे तो आपके उपमुख्यमंत्री चंद्र मोहन भी शादी के लालच में धर्म परिवर्तन कर चांद मोहम्मद बन गए थे। इस पर हुड्डा ने पलटवार करते हुए कहा कि आप चाहें तो धर्म परिवर्तन भी कर लें। उन्हें कौन रोक सकता है?

चार साल में जबरन धर्म परिवर्तन की 124 प्राथमिकी
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बिल लाने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए विपक्ष को आईना दिखाया। हुड्डा ने जैसे ही कहा कि राज्य में धर्मांतरण की कोई शिकायत नहीं है, सीएम ने सदन के सामने आंकड़ों रखते हुए बताया कि पिछले चार वर्षों में जबरन धर्मांतरण के 124 मामले दर्ज किए गए हैं। साल 2018 में 21 मामले, 2019 में 25, 2020 में 44 और 2021 में 34 मामले दर्ज किए गए। यमुनानगर, पानीपत, गुरुग्राम, नूंह और पलवल में जबरन धर्म परिवर्तन की शिकायतें सबसे ज्यादा हैं। सीएम ने कहा कि धर्म परिवर्तन के 127 मामलों में से 100 में लड़की की आर्थिक स्थिति कमजोर थी।