जशपुर। रायगढ़ से वकीलों और अधिकारी कर्मचारियों के बीच का विवाद अब तक शांत नहीं हो पाया है। मामला प्रदेश भर में आग लगा रही है, जहां पहले अधिकारी कर्मचारियों ने प्रोटेस्ट करना शुरू किया तो रायगढ़ में नायब तहसीलदार और कर्मचारियों के साथ मारपीट को लेकर तीन वकीलों को अरेस्ट कर जेल में डाल दिया गया।

ऐसे में अब वकील भी सड़कों पर निकलकर प्रदर्शन कर रहे हैं और इस प्रोटेस्ट को नाम दिया गया है, भ्रष्टाचार का विरोध! अब इस आग की लपट जशपुर जिले में भी दिखाई देने लगी है। जहां 26 फरवरी से शुरू वकीलों का आंदोलन अब सड़कों पर उतर आया है। जहां वकील अधिवक्ता सुरक्षा कानून को लागू करने के साथ, वकीलों पर हुए एफआईआर को रद्द करने की मांग करते नजर आ रहे हैं।

दरअसल वकीलों का मानना है कि यह सारा मामला ही भ्रष्टाचार है जो राजस्व न्यायलयों में फैला हुआ है। विवाद का कारण भी उसी को माना जा रहा है। भ्रष्टाचार के इस मामले को विलोपित कर वकीलों पर झूठी एफआईआर की गई है। जिसे रद्द करने के साथ राजस्व न्यायालयों में फैले भ्रष्टाचार के विरोध की बात वकील कर रहे हैं।

वकील अमीरचंद कुसवाह, मनीष साहू, विरेंद्र मुले, अनिल खरे ने कहा शासकीय कार्यालयों में भ्रष्टाचार चरम पर है। इसलिए अब वकील न्यायालयों को छोड़ सड़क पर हैं। इधर जिले के बग़ीचा में भी वकीलों ने प्रदर्शन के साथ मीडिया के सामने भी बात रखी। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ नारेबाजी करते नगर भ्रमण कर रहे हैं। बताया कि वकीलों के साथ कुछ राजनीतिक पार्टियां भी मैदान में साथ देने उतरे हैं।

बता दें कि रायगढ़ में फरवरी में हुए अधिकारी-वकील के बीच विवाद के बाद शासकीय कार्यालय में सालों से हो रहे भ्रष्टाचार का मामला उजागह हुआ। उसके बाद से अधिकारी और वकीलों के बीच का विवाद सड़क पर आ गया है। अब वकील लामबंद हो गए हैं।

दूसरी ओर न्यायालयों में न्याय के लिए भटकते लोग भी अब विवाद का हल चाहते हैं, क्योंकि ये आंदोलन कहीं न कहीं आम आदमी को प्रभावित कर रहा है। वहीं वकीलों के इस तरह के बहिष्कार से आम आदमी के लिए स्थापित न्याय व्यवस्था भी बाधित हो रही है। फिलहाल इस मसले का अब तक हल निकलता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में लोगों की नजर अब सरकार पर है।