भिलाई। दो साल के लंबे अंतराल के बाद स्कूलों में फिर से रौनक लौट आई है। कोरोना संक्रमण की त्रासदी को भुलाकर स्कूलों में क्लासेस शुरू कर दिए गए हैं। माइल स्टोन अकेड़मी जुनवानी में जूनियर विंग के बच्चों ने जब स्कूल में कदम रखा तो टीचर्स ने उनका भव्य सवागत किया। तिलक लगाकर टीचर्स ने बच्चों का स्वागत किसी अथिति की भांति किया।

ट्रेन बनाकर बच्चों को ले गए क्लासरूम

माइल स्टोन अकेड़मी में जब पहले दिन बच्चों ने आना शुरू किया तो टीचर्स व बच्चों के बीच कुछ अलग सा माहौल देखने को मिला। इस दौरान एक एक बच्चे को टीचर्स ने तिलक लगाया और स्कूल में प्रवेश कराया। इस दौरान हसंते मुस्कुराते बच्चों ने काफी एंजॉय किया। क्लासरूम में पहुंचने पर बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस दौरान अपने दोस्तों से मिलकर बच्चे काफी खुश हुए।

बता दें कोरोना संक्रमण के कारण विगत 2 वर्षों से स्कूल में ऑनलाइन कक्षाएं चल रही थी। बच्चों ने घर बैठे ही दो साल की कक्षाएं अटेंड कर लीं। इस दौरान यह बच्चों को स्कूल आने पर पूरी तरह पांबदी लगा दी गई थी। स्कूल प्रबंधन द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एहतियातन यह कदम उठाया था। दो साल बाद हालात सामान्य हुआ और बच्चों ने फिर से स्कूलों का रुख किया है।

खेल खेल में बीता पहला दिन
स्कूल पहला दिन बच्चों ने खेल खेल में बिताया। इस दौरान स्कूल में टीचर्स ने अलग तरह की एक्टीविटीज कराई। दो साल घर पर पढ़ने वाले बच्चों से उनके अनुभव पूछे गए। इसके अलावा बच्चों को आने वाली हर बीमारी से लड़ने के लिए तैयार रहने कहा गया। स्कूल में बच्चों को कोविड गाइडलाइन के संबंध में भी विस्तार पूर्वक बताया गया।

देखते ही बनती थी बच्चों की खुशी

माइलस्टोन अकेडमी की जूनियर विंग के बच्चे स्कूल लौटने के बाद काफी खुश दिखे। क्लासरूम में बच्चो ने अपने दोस्तों से मिलकर नए माहौल को एंजाय किया। पहले दिन स्कूल में खूब मस्ती हुई और दोस्तों के साथ बच्चों पूरे पलों को एंजॉय किया। दो साल बाद स्कूल का पहला दिन इन बच्चों के लिए यादगार बन गया। स्कूल के टीचर्स ने पूरे माहौल को खुशनुमा बना दिया।

सुकून भरा है स्कूल में बच्चों की वापसी
माइलस्टोन अकेडमी की डायरेक्टर डॉ. ममता शुक्ला ने कहा कि स्कूल में बच्चों की वापसी सुकून भरा है। दो साल का बुरा दौ बीत चुका है। अब आगे केवल खुशियां है। डॉ ममता शुक्ला ने बच्चों को दिए अपने संदेश में कहा कि लगन से पढ़ाई करें और बुरे दौर को भूल जाएं। सोचे कभी ऐसा पल आया ही नहीं। उन्होंने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते शिक्षकों व बच्चों को शुभकामनाएं दीं।