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खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित प्रसिद्ध इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति व सुविख्यात लोकगायिका पद्मश्री डाॅ. ममता (मोक्षदा) चन्द्राकर ने नेक पहल की है। विश्वविद्यालय में पदस्थ हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक डाॅ. सतीश राव इंदुरकर को उपचार के लिए निजी कोष से 1 लाख रुपए प्रदान किया है।

गौरतलब है कि गत दिनों विश्वविद्यालय में श्रुति मंडल कार्यक्रम के अंतर्गत डाॅ. इंदुरकर ने गायन की प्रस्तुति दी थी। अस्वस्थ्य होने के बावजूद डाॅ. इंदुरकर ने शास्त्रीय गायन की जैसी प्रस्तुत दी, उसने कुलपति को भावुक कर दिया। कुलपति पद्मश्री डाॅ. ममता (मोक्षदा) चन्द्राकर ने उसी दिन उसी मंच से डाॅ. इंदुरकर के उपचार के लिए 1 लाख रुपए स्वयं के निजी कोष से सहायता प्रदान करने की घोषणा की थी।

नेक पहल करते हुए उसी घोषणा के अनुसार कुलपति डॉ. ममता स्वयं संगीत संकाय पहुंची और उन्होंने इंदुरकर दंपती से भेंट करते हुए अपनी सहायता प्रदान की। इस दौरान उन्होंने डाॅ. इंदुरकर के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। इस अवसर पर डीन प्रो. हिमांशु विश्वरूप, प्रो. डॉ. लिकेश्वर वर्मा, डॉ. जगदेव नेताम, डॉ. दिवाकर कश्यप, प्रो. डाॅ. विवेक नवरे आदि उपस्थित थे।

बता दें कि छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री (मोक्षदा) ममता चंद्राकर वर्ष 1977- 1981 खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की छात्रा रहीं हैं। संगीत की शिक्षा लेने पांच साल तक हॉस्टल में दिन बिताए और आज वहीं की कुलपति हैं। बता दें कि नेक काम मे भी आगे रहने वाली कुलपति डॉ. चंद्राकर ने कभी सोचा भी नहीं था कि वे जिस विश्वविद्यालय में पढ़ाई करेंगी, वहीं के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी संभालेंगी।

चंद्राकर जब से यहां की जिम्मेदारी ली हैं तब से वे विश्वविद्यालय को नई ऊंचायां देने का काम कर रही हैं। डॉ. ममता हमेंशा कहती हैं कि संगीत की शिक्षा सिर्फ डिग्री तक सीमित न रहे बल्कि कलाकारों को स्थापित करने की दिशा में फोकस होता रहे, ताकि संगीत के प्रति नई पीढ़ी का रुझान और बढ़े।