सीआईएनए डेस्क। दिन में तपती धूप और रात में मच्छरों के बीच राजधानी की सड़कों पर करीब 3000 महिलाएं अपने मेहनताने के लिए संघर्ष कर रही हैं। राज्य के 23 जिलों में काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गुरुवार को राजधानी पहुंची थीं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की सुधा रात्रे ने बताया कि महिलाएं भीषण गर्मी में सड़क पर हैं। जबकि विभाग के अधिकारी आराम से अपने घर पर आराम की नींद सो रहे हैं। हमारी मांगों को अब तक अधिकारियों ने रोक रखा है। इसीलिए हमने रायपुर में महापड़ाव का फैसला किया है। अपनी बातों को जिम्मेदारों तक पहुंचाकर ही रहेंगे। हम चाहते हैं कि हमारी मांगें जल्द से जल्द पूरी की जाएं।

अधिकारी तो आराम की नींद ले रहे होंगे साहब
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की सुधा रात्रे ने बताया कि महिलाएं इतनी गर्मी में सड़क पर क्यों रह रहीं है। विभाग के अधिकारी तो आराम से अपने घर पर आराम की नींद सो रहे होंगे। हमारी मांगों को अब तक प्रशासनिक अधिकारियों ने रोक रखा है। हम अब चाहते हैं कि हमारी मांगें जल्द से जल्द पूरी की जाए, इसीलिए हमने इस तरह से रायपुर में महापड़ाव करने का फैसला किया है। अपनी बातों को जिम्मेदारों तक पहुंचा कर ही रहेंगे।

इसलिए हुआ आंदोलन
छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन सीटू के आवाहन पर महिलाएं रायपुर पहुंचीं हैं। यह चाहती हैं कि इन्हें कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जाए। फिलहाल इन्हें हर महीने लगभग 6000 रुपये दिए जाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र में कलेक्टर दर पर मानदेय देने का वादा किया गया था। अब सभी महिलाएं चाहती हैं कि उसी वादे को पूरा किया जाए।

By manas