छत्तीसगढ़ । प्राचीन काल से भारत में गुरू शिष्य परम्परा चली आ रही है। गुरू एवं शिक्षकों को समाज में विशेष दर्जा प्राप्त है। गुरू को भारत में भगवान से भी बड़ा माना गया है। ऐसे ही एक गुरु के बारे में हम आप को बात रहे है। बलौदाबाजार जिले के डीके स्नातकोत्तर महाविद्यालय में उत्तम कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) के पद पर नियुक्त हुए हैं। वो बचपन से पूर्णतः नेत्रहीन है। लेकिन अपनी लगन और मेहनत से इस मुकाम पर पहुंचे है। वो बताते है कि उनका यहां तक का सफर काफी रोमांचक रहा।

उत्तम कुमार ने रायपुर के शासकीय दृष्टि एवं श्रवण बाधितार्थ विद्यालय से 12वीं की परीक्षा पास कि है। इसके बाद जहां उनके बाकी साथियों ने जहां छत्तीसगढ़ में पढ़ाई की, वहीं उन्होंने हंसराज काॅलेज दिल्ली से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और आगे की पढ़ाई जेएनयू से की। उनका छोटे से गांव से निकलकर रायपुर, दिल्ली, चंडीगढ़ तक का सफर काफी प्रेरणादायक है।

उत्तम ने बताया कि उन्होंने कम्प्यूटर की ट्रेनिंग के साथ एंड्रॉयड फोन भी चलाना सीखा है। उन्होंने कहा मैं विपरीत परिस्थितियों से सीख लेता हुआ आगे बढ़ता रहा। वो शुरू से ही शिक्षक बनना चाहते थे।आज अपनी लगन और मेहनत से प्रोफेसर के पद पर नियुक्त होकर उन्होंने अपने सपने को पूरा कर दिखाया है।

बता दें उनके पिता किसान और मां गृहणी हैं। इतनी कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी उन्होंने जिस तरह अपनी मेहनत से सफलता पाई है उससे हम सभी को सीख लेनी चाहिए। कोशिश और मेहनत करने से देर से ही सही पर सफलता जरूर मिलती है। उत्तम कुमार को संगीत से भी काफी ज्यादा लगाव है। फिलहाल वो चंडीगढ़ विश्व विद्यालय से पीएचडी कर रहे है।