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भिलाई। भिलाई की एक बेटी ने अपनी शादी का खर्च अपने पिता से वसूल किया। सुनने में अजीब लगे लेकिन यह सही है। इसके लिए बेटी को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। हाईकोर्ट से फैमिली कोर्ट व फिर फैमिली कोर्ट से हाईकोर्ट तक लगातार लड़ती रही। आखिरकार हाईकोर्ट ने बेटी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि बेटी को अपनी शादी का खर्च पिता से लेने का पूरा अधिकार है।

दरअसल यह पूरा मामला भिलाई निवासी राजेश्वरी नाम की युवती से जुड़ा हुआ है। राजेश्वरी ने 2016 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने अपने पिता से शादी का खर्च देने की मांग की थी। युवती ने याचिका में बताया कि उनके पिता भोजराम बीएसपी के सेवानिवृत्त कर्मी हैं और उन्हें रिटायरमेंट के बाद 75 लाख रुपए मिले। चुंकी वे उनकी बेटी हैं इस लिए उनकी शादी की जिम्मेदारी उनकी है। युवती ने अपनी याचिका में शादी खर्च के लिए 25 लाख रुपए की मांग की।

फैमिली कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
हाईकोर्ट ने तब इस मामले को पहले फैमिली कोर्ट में रखने की बात कहकर खारिज कर दिया था। इसके बाद यह मामला फैमिली कोर्ट के पास पहुंचा। फैमिली कोर्ट ने बेटी द्वारा पिता से मांगे शादी के खर्च को चलने योग्य मामला नहीं माना। फैमिली कोर्ट ने इस मामले को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि न्यायालयीन प्रक्रिया में इस तरह कोई प्रावधान नहीं है।

राजेश्वरी ने फैमिली कोर्ट के इन निर्णय को अधिवक्ता टीके तिवारी के माध्यम हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट में 6 साल से यह मामला लंबित था जिसमें कई बाद हियरिंग हुई। अंतत: हाईकोर्ट ने युवती के पक्ष में निर्णय सुनाया। हाईकोर्ट ने माना है कि बेटी की शादी का खर्च पिता को देना होता है। अविवाहित बेटी की पढ़ाई से लेकर उसके खाने व शादी तक का खर्च पिता की जिम्मेदारी है।

फैमिली कोर्ट का आदेश किया निरस्त
इस मामले में जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने दुर्ग फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है। डिविजन बेंच ने कहा है कि बेटी को पिता से विवाह का खर्च लेने का पूरा अधिकार है। हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के अनुसार अविवाहित बेटी अपनी शादी में होने खर्च के लिए पिता पर दावा कर सकती है।

हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि पुत्रीअविवाहित है और अपने अभिभावकों पर आश्रित है। हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के अनुसार वह खुद के खर्च के लिए अभिभावकों पर दावा कर सकती है। उसे पूरा हक है कि पिता की संपत्ति में से अपनी शादी से लेकर अन्य खर्च के लिए दावा करें। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट को इस मामले में फिर से विचार कर निर्णय करने का निर्देश दिया है।

अपनी तरह का पहला मामला
अधिवक्ता टीके तिवारी ने बताया कि इस मामले को लेकर लंबी कानूनी लड़ी गई है। बिलासपुर हाईकोर्ट में यह अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें एक बेटी को उसके पिता से शादी का खर्च लेने के लिए पात्र माना गया है। हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के तहत पिता पर अपने बच्चों के मेंटेनेंस की पूरी जिम्मेदारी होती है। 6 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद राजेश्वरी को हाईकोर्ट से न्याय मिला है। अब फैमिली कोर्ट दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय देगी।