रायपुर। इस साल 17 मार्च को होलिका दहन होगा, लेकिन इसके लिए सिर्फ एक घंटा 10 मिनट का समय ही मिलेगा। दोपहर एक बजकर 20 मिनट से रात्रि एक बजे तक भद्रा योग रहेगा, जो अशुभ माना जाता है। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास के अनुसार, रात 09:04 मिनट से 10:14 मिनट तक भद्रा का पुच्छकाल रहेगा, तब होलिका दहन किया जा सकता है।

भद्राकाल में इसलिए नहीं करते शुभकार्य
इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि पुराणों के अनुसार, भद्रा की प्रवृत्ति विध्वंस करने की मानी जाती है। इस लिए भद्रा लगने पर कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते। पुराणों के अनुसार भद्रा ने अपने ही विवाह मंडप में उत्पात मचा दिया था। इस कारण अगर शुभ कार्यों का आयोजन भद्रा काल में किया जाता है, तो परिणाम अच्छे नहीं होते हैं।

ज्योतिषी आचार्य गिरीश व्यास ने बताया कि भद्रा सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना के एक प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया है। पंचांग के 5 प्रमुख अंग तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण होते हैं। करण की संख्या 11 होती है। ये चर-अचर में बांटे गए हैं। इन 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। मान्यता है कि ये तीनों लोक में भ्रमण करती हैं। जब मृत्यु लोक में होती हैं, तो अनिष्ट करती हैं।

जानिए कब कहां रहती है भद्रा
भद्रा योग कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में चंद्रमा के विचरण पर भद्रा विष्टिकरण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चंद्रमा मेष, वृषभ, मिथुन और वृश्चिक राशि में होते हैं, तो भद्रा स्वर्ग में रहती है। वहीं चंद्रमा जब कन्या, तुला, धनु और मकर राशि में होता है, तब भद्रा पाताल में होती है।