Cina News Desk। सुप्रीम कोर्ट के सामने एक अनोखा मामला आया है, जिसमें मध्य प्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले पति ने इस आधार पर तलाक मांगा है कि उसकी पत्नी महिला नहीं है। पति ने याचिका में अदालत में अपील करते हुए कहा कि उसके साथ धोखा किया गया है। शादी करते वक्त यह तथ्य छुपाया गया था कि उसकी पत्नी के रूप में जिसे दिखाया जा रहा है वह लड़की नहीं लड़का है। पति ने कहा कि उसकी पत्नी के गुप्तांग पुरुषों की तरह हैं और इसलिए वह उसके साथ नहीं रह सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी को भेजा नोटिस, मांगा जवाब
पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने मेडिकल रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद पत्नी से शुक्रवार को पति की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने अन्य बातों के साथ हमारा ध्यान आकर्षित किया है कि प्रतिवादी का चिकित्सा इतिहास “लिंग और अपूर्ण हाइमन” की स्थिति दिखाता है, इसलिए प्रतिवादी एक महिला नहीं है। इसके बाद अदालत ने कहा है नोटिस का जवाब चार सप्ताह में दें।

इससे पहले पति ने इस मामले में हाईकोर्ट भी गया था, जहां निचली अदालत के आदेश को जारी रखते हुए हाई कोर्ट ने शिकायत खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि केवल मौखिक साक्ष्य और बिना किसी चिकित्सीय साक्ष्य के अपराध नहीं बनता है।

ऐसे खुला पूरा मामला
अधिवक्ता प्रवीण स्वरूप के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि दोनों की शादी जुलाई 2016 में हुई थी। शादी के बाद पत्नी ने मासिक धर्म होने के बहाने कुछ दिनों तक शारीरिक संबंध नहीं बनाए और फिर वैवाहिक घर छोड़कर चली गई। वह छह दिनों बाद वापस आ गई। जब पति ने दोबारा संबंध बनाने की कोशिश की, तो पता चला कि उसकी पत्नी एक महिला नहीं बल्कि पुरुष है। इसके बाद याचिकाकर्ता अपनी पत्नी को मेडिकल चेक-अप के लिए ले गया, जहां यह पाया गया कि उसे ‘इम्परफेक्ट हाइमन’ नामक एक चिकित्सा समस्या थी।

इसके बाद डॉक्टरों ने महिला को सर्जरी कराने की सलाह दी गई थी, लेकिन डॉक्टर ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर सर्जरी के जरिए महिला का अंग भी काट दिया जाए, तो उसके गर्भवती होने की संभावना लगभग असंभव है।